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Tuesday, August 18, 2015

ग्‍यारहवां सूत्र, ‘ पूछो पृथ्वी के पवित्र पुरुषों से, उन रहस्यों को, जो वे तुम्हारे लिए संजोए हुए हैं। बाह्य इंद्रियों की वासनाओं को जीत लेने से तुम्हें यह रहस्य जान लेने कर अधिकार प्राप्त हो जाएगा।’

ग्‍यारहवां सूत्र, ‘ पूछो पृथ्वी के पवित्र पुरुषों से, उन रहस्यों को, जो वे तुम्हारे लिए संजोए हुए हैं। बाह्य इंद्रियों की वासनाओं को जीत लेने से तुम्हें यह रहस्य जान लेने कर अधिकार प्राप्त हो जाएगा।’ ‘ पूछो पृथ्वी के पवित्र पुरुषों से।’

ह पृथ्वी के पवित्र पुरुषों से पूछने की बात भी थोड़ी समझ लेने जैसी है।

इस जगत में, जो शरीर लिए हुए हैं, वे ही अकेले नहीं हैं। इस जगत में अशरीरी पुरुष भी हैं, अशरीरी आत्माएं भी हैं। जब भी कोई व्यक्ति मरता है, तो अगर साधारण व्यक्ति हो साधारण वासनाओं से भरा, साधारण शुभ आकांक्षाओं से भरा, साधारण बुराई, साधारण अच्छाई  तो क्षण भर भी नहीं लगता, उसका नया जन्म हो जाता है। क्योंकि साधारण आदमी के लिए साधारण गर्भ निरंतर उपलब्ध हैं, उनकी कोई कमी नहीं है। उसे कभी क्यू में खड़े होने की जरूरत नहीं पड़ती।

लेकिन अगर असाधारण बुराई से भरा हुआ आदमी हो, तो प्रतीक्षा करनी पड़ती है। क्योंकि असाधारण बुरा गर्भ पाने में कठिनाई है। हिटलर मरे तो प्रतीक्षा करनी पड़ती है। कभी कभी सैकड़ों वर्ष भी लग सकते हैं जब ठीक इतना ही उपद्रवग्रस्त गर्भ मिले, जिसमें हिटलर पैदा हो सके। या असाधारण रूप से अच्छी आत्मा हो, बहुत साधु आत्मा हो, तो भी हजारों वर्ष लग जाते हैं। क्योंकि उतना श्रेष्ठ गर्भ पाना भी मुश्किल है। श्रेष्ठ और अश्रेष्ठ मुश्किल हैं। सामान्य, बिलकुल साधारण रोज उपलब्ध है। जो बुरी आत्माएं रुक जाती हैं बिना देह के, उन्हीं को हम प्रेत कहते हैं। जो भली आत्माएं रुक जाती हैं बिना देह के, उन्हें ही हम देवता कहते हैं। इसमें देवताओं का उल्लेख है।

‘पूछो पृथ्वी के पवित्र पुरुषों से, उन रहस्यों को, जो वे तुम्हारे लिए संजोए हुए हैं।’


अगर तुम शांत हो सको, तो तुम पाओगे कि तुम एक दूसरे जगत में प्रवेश कर रहे हो। जहां बहुत सी अशरीरी आत्माएं तुम्हें सहायता करने को उत्सुक हैं, और बहुत सी बातें तुम्हें खोल सकती हैं, जो कि तुम अपने श्रम से जन्मों में भी नहीं उपलब्ध कर पाओगे। ये आत्माएं मोक्ष को उपलब्ध नहीं हो गई हैं, क्योंकि जो मोक्ष को उपलब्ध हो गई हैं, उनसे संपर्क स्थापित करना अति कठिन है। लेकिन जो आत्माएं अशरीरी हैं और केवल किसी शुभ जन्म की प्रतीक्षा कर रही हैं, उनसे संपर्क स्थापित कर लेना बहुत ही आसान है। सिर्फ एक टयूनिंग  जैसे रेडिओ पर तुम बटन को घुमाते हो, नॉब को घुमाते हो, ताकि ठीक स्टेशन पर कांटा रुक जाए। अगर जरा भी गड़बड़ हो, इधर—उधर हिला—डुला हो तो शोरगुल मचता है, कुछ पकड़ में नहीं आता है। अगर ठीक जगह रुक जाए, तो पकड़ में आना शुरू हो जाता है। ठीक तुम्हारा ध्यान भी, अगर ठीक जगह रोकने की कला आ जाए, तो तुम कहीं भी उस ध्यान को जोड़ ले सकते हो। बहुत सी आत्माएं उत्सुक हैं, जो तुम्हें सहायता कर दें और तुम्हारा बहुत सा काम हल कर दें। और बहुत सी आत्माएं उत्सुक हैं कि तुम्हें नुकसान पहुंचा दें, और तुम्हारा बहुत सा बना हुआ काम बिगाड़ दें।

जो लोग दुष्ट प्रकृति के हैं, वे दूसरे को परेशान करने में आनंदित होते हैं। जो भली प्रकृति के हैं, वे दूसरे को आनंदित करने में आनंदित होते हैं। तुम्हारे आसपास बहुत सी आत्माएं हैं, जो तुम्हें लाभ पहुंचा सकती हैं। और बहुत सी आत्माएं हैं, जो तुम्हें नुकसान पहुंचा सकती हैं। अगर तुम बहुत भयभीत हो, अगर तुम बहुत चिंताग्रस्त हो, अगर तुम्हारे मन में भीतर बहुत उत्पात चल रहा है, तो तुम्हारी बुरी आत्माओं से संबंधित होने की संभावना है। क्योंकि तुम तब बुरी आत्माओं के लिए खुले द्वार हो। अक्सर ऐसा होता है कि जब तुम भयभीत हो, तब तुम्हें भूत—प्रेत दिखाई पड़ जाते हैं। इसका कारण यह नहीं है कि भय के कारण वे पैदा हो जाते हैं। भय के कारण तुम उनसे संबंधित हो जाते हो। भय तुम्हें खोल देता है उनके प्रति।

जब तुम अभय हो, शांत हो, आनंदित हो, तब तुम्हारा बुरी आत्माओं से कोई संपर्क नहीं बन सकता। उस तरफ से तुम्हारा द्वार बंद है। लेकिन उस क्षण में तुम्हारा अच्छी आत्माओं से संबंध बन सकता है। वह जो मैं निरंतर ध्यान में तुमसे कहता हूं कि आनंद के क्षण में ही, परम  आनंद के क्षण में ही तुम प्रभु से संयुक्त हो सकते हो, और कोई उपाय नहीं है। वह टयूनिंग है। तुम जब पूरे आनंद से भरे हो, तब तुम इस जगत का जो आनंद का स्रोत है, उससे जुड़ सकते हो। जब तुम दुख से भरे हो, तो इस जगत में जहां-जहां दुख का विस्तार है, तुम उससे जुड़ सकते हो।

दुखी आदमी हम कहते हैं कि नरक में चला जाता है। जाने की कोई जरूरत नहीं है। दुखी आदमी सिर्फ नरक की तरफ खुल जाता है, नरक उसमें आ जाता है। सुखी आदमी स्वर्ग की तरफ खुल जाता है, स्वर्ग उसमें आ जाता है। आनंदित आदमी जीवन की परम सत्ता की तरफ खुल जाता है, परम सत्ता उसमें प्रवेश कर जाती है। तुम किस तरफ खुले हो? उसी तरफ तुम्हारे जीवन का विस्तार होना शुरू हो जाएगा।

यह सूत्र कहता है, ‘पूछो पृथ्वी के पवित्र पुरुषों से, उन रहस्यों को, जो वे तुम्हारे लिए संजोए हुए हैं। बाह्य इंद्रियों की वासनाओं को जीत लेने से तुम्हें यह रहस्य जान लेने का अधिकार प्राप्त हो जाएगा।’

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