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Monday, August 17, 2015

‘जीवित शव मत बनो। सम्मोहनावस्था के अंतर्गत मत चलो। ‘

प्रमाद का अर्थ होता है, वह अवस्था जो कि ऐसी होती जैसे कोई नींद में चल रहा है। असावधानी इसी का हिस्सा है। ठीक-ठीक बात का ऐसा अर्थ होगा, ‘जीवित शव मत बनो। सम्मोहनावस्था के अंतर्गत मत चलो। ‘

लेकिन तुम हिप्नासिस में, सम्मोहनावस्था में जीते हो, इसे बिलकुल न जानते हुए। सारा समाज तुम्हें सम्मोहित करने का प्रयत्न कर रहा है कुछ निश्चित बातों के लिए, और यह बात प्रमाद निर्मित करती है। यह तुममें एक निद्रावस्था निर्मित कर देती है। क्या होता होगा? तुम्हें होश नहीं। अन्यथा तुम एकदम चकित हो जाओगे उस पर जो कि घट रहा है। यह इतना जाना पहचाना है। इसीलिए तुम जाग्रत नहीं होते। तुम बहुत सारे होशियारों द्वारा चलाये जा रहे होते हो। और उनकी विधि तुम्हें चालाकी से प्रभावित करने की यह होती है कि तुममें हिप्नासिस को, सम्मोहन को निर्मित कर देते हैं।
 
उदाहरण के लिए, हर रेडियो पर, हर टीवी. पर, हर फिल्म में, हर अखबार और पत्रिला में, विज्ञापक किसी निश्चित चीज को विज्ञापित किये जाते हैं-उदाहरण के लिए ‘लक्स टॉयलेट साबुन। तुम सोचते हो तुम प्रभावित नहीं होते, लेकिन प्रतिदिन तो तुम सुनते हो, ‘लक्स टॉयलेट साबुन, लक्स टॉयलेट साबुन, लक्स टॉयलेट साबुन। यही एक निरंतर गान। रात्रि में सड्कों पर नियॉन बिजलियां कहतीं  ‘लक्स टॉयलेट साबुन। ‘ और अब वे इस बात का पता पा गये है कि यदि तुम बिजली को झिलमिल करो तो यह अधिक प्रभावकारी होती है। यदि यह जलती बुझती रहती है, तो यह और भी प्रभावकारी हो जाती है क्योंकि तब तुम्हें इसे फिर पढ़ना होता है ‘लक्स टॉयलेट साबुन। ‘ फिर बिजली जाती और फिर आ जाती, और तुम्हें इसे फिर पढ़ना पड़ता है  ‘लक्स टॉयलेट साबुन।

तुम जप करते हो ओम् का। यह तुम्हारे उपचेतन में ज्यादा गहरे उतर रहा होता है। तुम सोचते हो तुम प्रभावित नहीं हुए, तुम सोचते हो तुम इन लोगों द्वारा फुसलाये नहीं गये—ये सब सुंदर नग्र स्रियां लक्स टॉयलेट साबुन के निकट खड़ी हुई है और कह रही है, ‘मैं सुंदर क्यों हूं? मेरा चेहरा इतना सुंदर क्यों है? लक्स टॉयलेट साबुन के कारण। तुम सोचते हो कि तुम सुंदर नहीं हो, अत: तुम प्रभावित हो जाते हो। अचानक, एक दिन तुम बाजार चले जाते हो, दुकान पर जाते हो, और तुम लक्स टॉयलेट साबुन के बाबत पूछते हो। दुकानदार पूछता है, ‘कौन सा साबुन?’ तो अकस्मात यह बात बाहर फूट पड़ती है, ‘लक्स टॉयलेट साबुन! ‘

तुम व्यापारियों, राजनेताओं, शिक्षाविदों, पंडित-पुरोहितों द्वारा सम्मोहित हो रहे हो। क्योंकि अगर तुम सम्मोहित हुए हो तो हर किसी ने तुम पर कोई घेरा डाला है। तब तुम इस्तेमाल किये जा सकते हो। राजनेता कहे चले जाते हैं, ‘यह मातृभूमि है, और अगर मातृभूइम कठिनाई में है तो जाओ युद्ध पर, बनो शहीद।’

कैसी नासमझी है! सारी पृथ्वी तुम्हारी माता है। क्या पृथ्वी भारत, पाकिस्तान, जर्मनी, इंग्लैंड में बंटी हुई है, या यह एक है? लेकिन राजनेता निरंतर तुम्हारे मन पर इसकी चोट कर रहे हैं कि पृथ्वी का केवल यही हिस्सा तुम्हारी माता है और तुम्हें इसे बचाना ही है। यदि तुम्हारा जीवन भी चला जाये, तो यह बहुत अच्छी बात है। और वे और-और कहते जाते हैं- ‘देश की सेना, राष्ट्रीयवाद, देशभक्ति’ -सारी मूढ़ताभरी परिभाषाएं। लेकिन यदि वे निरंतर ठोक-पीट किये जाते है, तो तुम सम्मोहित हो जाते हो। तब तुम स्वयं का बलिदान कर सकते हो। तुम सम्मोहनावस्था में तुम्हारी जिंदगी का बलिदान कर रहे होते हो नारों के कारण ही। झंडा, एक साधारण टुकड़ा कपड़े का, सम्मोहन द्वारा इतना ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है। यह हमारा राष्ट्रीय झंडा है, अत: लाखों लोग मर सकते है इसके लिए। यदि दूसरे ग्रहों पर प्राणी है, और यदि उन्हें कभी पृथ्वी पर देखना होता हो, तो वे सोचते होंगे, ‘ये लोग तो एकदम पागल हैं।’ कपड़े के लिए-कपड़े के एक टुक्के के लिए-तुम मर सकते हो क्योंकि किसी ने हमारे झंडे का अपमान कर दिया है, और इसे बरदाश्त नहीं किया जा सकता।

सचेत रहना। ओम् सचेत होने में किस प्रकार मदद करेगा तुम्हारी? यह तुम्हारा सम्मोहन गिरा देगा। वस्तुत: यदि तुम मात्र ओम् का जप किये जाओ बिना ध्यान किये, तो यह बात भी एक सम्मोहन हो जायेगी। मंत्र का साधारण जप करने में और पतंजलि के मार्ग में अंतर यही है। इसका जप करो और सचेत बने रही।

पतंजलि योग सूत्र

ओशो
 

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