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Tuesday, August 18, 2015

विक्टोरिया के जमाने में

……  इंग्लैंड में घरों में लोग कुर्सियों की टांग पर भी कपड़ा बांधते थे, कि नंगी टांग से कामवासना पैदा होती है! कुर्सी की टांग! अगर किसी घर में आप जाते और आपको नंगी कुर्सी मिल जाती, तो आप समझते कि यह आदमी अशोभन काम कर रहा है, कुर्सी की टांग नंगी है! विक्टोरिया बहुत सख्त थी इस मामले में। यह अनीति का काम था। तो घर-घर में लोग कुर्सी रखते थे और उसमें टांग पर कपड़ा रखते थे। अब टांग पर कपड़ा डाला हो तो ज्यादा कामवासना का खयाल आता है कि यह क्या बेवकूफी है?

लेकिन ऐसा कोई विक्टोरिया के जमाने में था ऐसा नहीं, ऐसे लोग सब तरफ मौजूद हैं। अभी भी इंग्लैंड में स्त्रियों का एक समाज है-वे स्त्रियां जरूर ही प्रेम से वंचित रही होंगी और उनके जीवन में प्रेम का कोई अनुभव न होगा उनका एक समाज है, वह उसका प्रचार करता है कि सड़क पर जानवर भी कपड़े में निकाले जाने चाहिए! कुत्ते, घोड़े, बैल, ये नंगे नहीं होने चाहिए। क्योंकि नंगे होने से कामवासना पैदा होती है! अगर आपको बैल को देख कर यह खयाल भी आता है कि बैल नंगा है, तो इसका मतलब है कि आप रुग्ण हैं। आपके भीतर कोई रोग है, आप स्वस्थ नहीं हैं। नहीं तो यह कोई सवाल नहीं है। अगर आप स्वस्थ होते तो मनुष्य को भी नग्न देख कर आप बूढ़ो कोई तकलीफ न होगी। अगर आप अस्वस्थ हों तो कुर्सी को भी नग्न देख कर तकलीफ हो सकती है। वह आपके अस्वस्थ होने का प्रतीक है।

लेकिन आप जानवरों को भी कानून बना कर कपड़े पहना सकते हैं, कुर्सियों को भी पहना सकते हैं। लेकिन यह जो मन काम में लगा हुआ है, यह मन निसर्ग के प्रतिकूल जा रहा है। और यह मन और भी जाल में पड़ जाएगा। और यह मन हिम्मत खो रहा है, और अपराधी बन जाएगा।

साधना सूत्र

ओशो 

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