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Friday, August 14, 2015

महाभारत में एटम का विस्‍फोट


अगर महाभारत पढ़ें, और महाभारत में जो युद्ध का विवरण है, पहली दफा जब हिरोशिमा और नागासाकी पर एटम बम गिरा तो जो दृश्‍य बना, उस दृश्‍य का विवरण पूरा का पूरा महाभारत में है। उसके पहले तो कल्‍पना थी। महाभारत में जो बात लिखी थी।/ तब तो यही सोचा था कवि का ख्‍याल है। लेकिन जब हिरोशिमा में एटम गिरा और धुँऐ का बादल उठा और वृक्ष की तरह आकाश में फैला; नीचे जैसे वृक्ष की पीड़ होती है, वैसे ही धुएँ का धारा बनी और ऊपर जैसे आकाश में उठता गया धुआं वैसा फैलता गया, अंत में वृक्ष का आकार बन गया। महाभारत में उसका ठीक ऐसा ही वर्णन है। इसलिए अब वैज्ञानिक कहते है कि यह वर्णन कवि की कल्‍पना से तो आ ही नहीं सकता। इसका कोई उपाय नहीं है। क्‍योंकि एटम के विस्‍फोट में ही ऐसा होगा। एटम के बिना विस्‍फोट के और कोई विस्फोट नहीं है जिसमे इस तरह की घटना घटे।
 

      जो महाभारत में वर्णन है। वह यह है वृक्ष के आकार में धुआं आकाश में फैल गया। सारा आकाश धुएँ से भर गया। और उस धुएँ के आकाश से रक्‍तवर्ण की किरणें जमीन पर गिरने लगी। और उन किरणों को जहां-जहां गिरना हुआ, वहां-वहां सब चीजें विषाक्‍त हो गई। भोजन रखा था वह तत्क्षण जहर हो गया। वर्णन में कहा गया है महाभारत में कि जब रक्‍तवर्ण की किरणें नीचे गिरने लगीं तो जो बच्‍चे मां के गर्भ में थे, वह वहीं मृत हो गये। जो बच्‍चे पैदा हो गए थे। वह अपंग हो गये। और जमीन पर जहां पर भी किरण गिरी। जिस चीज को उन किरणों ने छुआ। वे विषाक्‍त हो गई। उनको खोज ही आदमी मर गया। कोई उपाय नहीं है कि कवि इसकी कल्‍पना कर सकें। लेकिन उन्‍नीस सौ पैंतालीस के पहले इसके सिवा हमारे पास भी कोई उपाय नहीं था। कि हम इसको कविता कहें। अब हम कह सकते है कि यह किसी अणु-विस्‍फोट का आँखों देखा हाल है। 
 
      महाभारत में कहा गया कि इस तरह के अस्‍त्र शस्‍त्रों का जो ज्ञान हे वह सभी को न बताया जा सकता है।
 
      अभी अमरीका में एक मुकदमा चला अमरीका के बड़े से बड़े अणु विद डाक्‍टर ओपन हाइमर पर। और मुकदमा यह था कि ओपन हाइमर को कुछ चीजें पता थी जो अमरीका की सरकार को भी बताने को राजी नही था। और ओपन हाइमर अमरीका सरकार का आदमी है। तो ओपन हाइमर पर एक विशेष कोर्ट में मुकदमा चला। उस कोर्ट ने यह कहा कि तुम जिस सरकार के नौकर हो और तुम जिस देश के नागरिक हो उस सरकार को तुमसे सब चीजें जानने का हक है। लेकिन ओपन हाइमर ने कहा कि उससे भी बड़ा मेरा निर्णायक मेरी अंतरात्‍मा है। कुछ बातें मैं जानता हूं जो मैं किसी राजनैतिक सरकार को बताने को राज़ी नहीं हूं। क्‍योंकि हम देख चुके हिरोशिमा में क्‍या हुआ। हमारी ही जानकारी लाखों कि हत्‍या का कारण बनी।
 
      निश्‍चित ही, महाभारत में जो कहा है कि कुछ बातें है जो सबको न बताई जाएं। और ज्ञान के कुछ शिखर है जो खतरनाक सिद्ध हो सकते है। वह किसी अनुभव के कारण होगी। ओपन हाइमर किसी अनुभव के कारण कह रहा हे कि कुछ बातें जो मैं जानता हूं नहीं बताऊंगा।
 
      जो इतिहास हम स्‍कूल-कालेज, युनिवर्सिटी में पढ़ते है वह बहुत अधूरा है। आदमी इसे इतिहास से बहुत पुराना है। और सभ्‍यताएं हमसे भी ऊंचे शिखर पर पहुंच कर समाप्‍त होती है। और हम से भी पहले बहुत सी बातें जान ली गई है। और छोड़ दि गई है; क्‍योंकि अहितकर सिद्ध हो गई है। ऐसा कोई भी सत्‍य विज्ञान आज नहीं कह रहा है जो किसी ने किसी अर्थ में इससे पहले न जान लिया गया हो। परमाणु की बात भरम वैशेषिक बहुत पुराने समय से कर रहे है। यूनान में हेराक्‍लतु, पारमेनडीज बहुत पुराने समय से परमाणु की बात कर रहे हे। और परमाणु के संबंध में वे जो कहते है वह हमारी नई से नई खोज कहती है। हमने बहुत बार उन चीजों को जान लिया, जिनसे जिंदगी बदली जा सकती है, और फिर छोड़ दिया; क्‍योंकि पाया कि जिंदगी बदलती नहीं सिर्फ विकृत हो जाती है।
   
ताओ उपनिषद 
 
ओशो 

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