Osho Whatsapp Group

To Join Osho Hindi / English Message Group in Whatsapp, Please message on +917069879449 (Whatsapp) #Osho Or follow this link http...

Tuesday, August 11, 2015

वासना

आदमी के जीवन की एकमात्र दीनता है वासना, क्योंकि वासना भिखमंगा बनाती है। वासना का अर्थ है, दो। वासना का अर्थ है. मेरी झोली खाली है, भरो! कोई भरो, मेरी झोली खाली है। वासना का अर्थ है. मांगना। वासना का अर्थ है कि मैं जैसा हूं वैसा पर्याप्त नहीं। मैं जैसा हूं उससे मैं संतुष्ट नहीं, दो!

कहते हैं, फरीद, उनके गाव के लोगों ने कहा कि तुम अकबर को जानते हो, अकबर तुम्हें जानता है, तुम्हारा सम्मान भी करता है। तुम एक बार जा कर अकबर से इतना कह दो कि हमारे गाव में एक मदरसा खोल दे, गाव के बच्चे पढ़ने को तड़फते हैं। गरीब गाव है, तुम कहोगे तो मदरसा खुल जाएगा। फरीद कभी राजमहल गया नहीं था। कभी-कभी अकबर को जब रस होता था तो फरीद के दरबार में आता था। लेकिन जब मांगना हो तो जाना चाहिए-यह सोच कर फरीद गया। जब वह पहुंचा, सुबह-सुबह ही पहुंच गया, क्योंकि मांगना हो तो सुबह-सुबह ही मांगना चाहिए। सांझ तक तो आदमी इतने क्रोध में आ जाता है, इतना परेशान हो चुका होता है कि देने की बात कहां-और तुमसे छीन ले!

फरीद पहुंचा। अकबर प्रार्थना कर रहा था अपनी निजी मस्जिद में। फरीद को तो जाने दिया गया। लोग जानते थे अकबर का बड़ा भाव है फरीद के प्रति। फरीद पीछे जा कर खड़ा हो गया। अकबर ने अपनी नमाज पूरी की, हाथ उठाए आकाश की तरफ और कहा, हे परमात्मा! मुझे और धन दे, और दौलत दे, मेरे साम्राज्य को बड़ा कर!
फरीद की आंखों में तो आंसू आ गए यह दीनता देख कर। यह सम्राट भी कोई सम्राट है! इससे तो हम भले। कम से कम परमात्मा एक इल्जाम तो नहीं लगा सकता कि हमने कुछ मांगा हो। और फिर उसे याद आया कि इस आदमी से क्या मांगना! इससे तो एक मदरसा लेने का मतलब होगा इसको गरीब बनाना, थोड़ा गरीब हो जाएगा। यह तो वैसे ही गरीब, इसकी हालत तो वैसे ही खराब है! इसकी दीनता तो देखो, अभी भी हाथ फैलाए है! अकबर जैसा सम्राट, जिसके पास सब है, वह भी मांग रहा है अभी! होने से क्या होता है, भिखमंगापन थोड़े ही मिटता है!

दुनिया में दो तरह के भिखमंगे हैं-गरीब और अमीर। भिखमंगे तो सभी हैं। गरीब को तो क्षमा भी कर दो; लेकिन अमीर को कैसे क्षमा करो, वह भी मांगे चला जाता है।

फरीद तो लौटने लगा। अकबर उठा तो फरीद को सीढ़ियों से उतरते देखा। उसने कहा, कैसे आए और कैसे चले? कभी तो तुम आए नहीं। स्वागत! घर में पधारो! फरीद ने कहा, हो गया, आए थे एक बात से, लेकिन वह तो गलत खयाल था। चूक हो गई। हमसे भूल हुई, तुम्हारा कोई कसूर नहीं है। अकबर तो बड़ा बेचैन हो गया। उसने कहा, हुआ क्या? मैं कुछ समझूं भी तो! पहेली मत बूझो! फरीद ने कहा, गांव के लोगों ने-नासमझों नें-यह समझ कर कि तुम सम्राट हो, तुम्हारे पास बहुत है, मुझे भी भ्रम में डाल दिया। मैं भी उनकी बातों में आ कर चला आया। नासमझों की दोस्ती ठीक नहीं। अब मैं वापिस जा रहा हूं उनको समझाने कि तुम गलती में थे। मैं आ गया मागने। गांव के लोगों ने कहा था एक मदरसा खुलवा दो। नहीं, लेकिन तुम्हारी हालत खराब है, तुम तो दीन अवस्था में हो। वह प्रार्थना मैं तुमसे न करूंगा। मेरे पास कुछ होता तो वह मैं तुम्हें दे डालता। मेरे पास कुछ है नहीं। तुम्हारी हालत बड़ी खराब है। तुम्हारी तो हालत दिवाले निकले जैसी है। तुम प्रार्थना करके मांग रहे थे! मैं आया था सम्राट से मिलने, भिखारी को देख कर वापिस जा रहा हूं।

ओशो 

No comments:

Post a Comment

Popular Posts