सूत्र:
7—जो तुम्हारे भीतर है, केवल उसी की इच्छा करो।क्योंकि तुम्हारे भीतर समस्त संसार का प्रकाश है,
वही प्रकाश जो साधना—पथ को प्रकाशित कर सकता है।
यदि तुम उसे अपने भीतर नहीं देख सकते,
तो उसे कहीं और ढूंढना व्यर्थ है।
8—जो तुमसे परे है, केवल उसी की इच्छा करो।
वह तुमसे परे है,
क्योंकि जब तुम उसे प्राप्त कर लेते हो,
तो तुम्हारा अहंकार नष्ट हो चुका होता है।
9—जो अप्राप्य है, केवल उसी की इच्छा करो।
वह अप्राप्य है, क्योंकि
पास पहुंचने पर वह बराबर दूर हटता जाता है।
तुम प्रकाश में प्रवेश करोगे,
किंतु तुम ज्योति को स्पर्श कदापि न कर सकोगे।
साधना सूत्र
ओशो
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