मालकियत! इसलिए हिंदू संन्यासियों ने संन्यासी का नाम स्वामी चुना है। लेकिन कैसा स्वामित्व? मकान का, धन का, दुकान का स्वामित्व? नहीं, क्योंकि वह तो सिर्फ धोखा है। तुम बनते हो गुलाम और स्वामी होने का खयाल रखते हो! तुम बनते हो दास और सोचते हो कि सम्राट हो गए!
सुना है मैंने, मुसलमान फकीर फरीद एक गांव से गुजरता था। और एक आदमी एक गाय को रस्सी से बांध कर घर की तरफ ले जाता था। तो फरीद रुक गया उसकी ऐसी आदत थी , उसने अपने शिष्यों से कहा, घेर लो इस आदमी को और इस गाय को, और तुम्हें मुझे कुछ शिक्षा देनी है। तो वह आदमी थोड़ा चौंका। उसने कहा कि मुझे घेरने की क्या जरूरत है? उसने कहा कि तुम चुप रहो, तुमसे हमें कुछ करना नहीं, सिर्फ मेरे शिष्यों को शिक्षा देनी है। और फरीद ने कहा कि शिष्यो, मैं पूछता हूं इन दोनों में मालिक कौन है? गाय या यह आदमी? शिष्यों ने कहा कि आप भी क्या पूछते हैं? जाहिर है कि आदमी मालिक है। क्योंकि गाय उसकी संपत्ति है और गले में उसने उसके फंदा डाला है। तो फरीद ने कहा कि मैं तुमसे दूसरा सवाल पूछता हूं अगर हम बीच की रस्सी काट दें और गाय भाग खड़ी हो, तो गाय के पीछे यह आदमी दौड़ेगा कि गाय आदमी के पीछे दौड़ेगी? उन्होंने कहा कि निश्चित ही यह आदमी गाय के पीछे दौड़ेगा। तो गाय इस आदमी को नहीं खोजेगी? यह आदमी गाय को खोजेगा? तो फिर मालिक कौन है? तो फरीद ने कहा कि यह रस्सी तुम्हें दिखाई पड़ती है गाय के गले में, यह इस आदमी के गले में है।
वस्तुएं हमारे गले में फंदा कस लेती हैं। जिनके हम मालिक होते हैं, उनके हम गुलाम हो जाते हैं। जिसके भी आप मालिक होंगे, उसके गुलाम हो जाएंगे।
जरा खयाल करें! हमारे मुल्क में पति अपने को स्वामी कहते हैं। उनसे बड़ा गुलाम खोज सकते हैं आप? स्वामी हैं वे। पत्नी जब उनको पत्र लिखती है तो उसमें स्वामी लिखती है और नीचे दस्तखत करती है, आपकी दासी।
और सब भलीभांति जानते हैं कि कौन दास है और कौन मालिक है। किसी को जरा भी संदेह नहीं है उस मामले में। स्त्रियां होशियार हैं, वे राजी हैं, कि ठीक, दस्तखत ही करने हैं दासी के! चलेगा। लेकिन असलियत में कौन मालिक है? पति तब तक गुलाम रहेंगे, जब तक वे मालिक होने का खयाल रखते हैं। जब तक उनको खयाल है कि पत्नी के स्वामी होना है, तब तक वे शब्दों में स्वामी बने रहें, वे गुलाम रहेंगे।
जो भी मालिक बनने की दूसरे के ऊपर कोशिश करेगा, वह गुलाम हो जाएगा। सब तरह की मालकियत बाहर की दुनिया में गुलामी लाती है।
साधना सूत्र
ओशो
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