हिंदुओं ने संन्यासियों को स्वामी कहा-इस कारण कि उसने सारा
स्वामित्व छोड़ दिया और अब एक ही जगह उसने अपने स्वामित्व को बनाने की
चेष्टा की है, वह उसकी स्वयं की आत्मा है। वह अपना मालिक है। इसलिए हिंदुओं
ने अपने संन्यासियों को स्वामी कहा है।
बुद्ध ने अपने संन्यासियों को भिक्षु कहा है। उलटा लगता है। लेकिन बुद्ध ने इसलिए अपने संन्यासियों को भिक्षु कहा, कि इस दुनिया में सभी को स्वामी होने का खयाल है। यहां सभी स्वामी हैं, कोई इसका, कोई उसका। यह शब्द गंदा हो गया। तो मैं तुम्हें भिक्षु कहूंगा। भिक्षु तो मैं इसलिए कहूंगा कि इस दुनिया में हालत उलटी है, यहां सब भिखारी अपने को स्वामी कह रहे हैं, इसलिए मैं स्वामी को भिखारी कहूंगा।
बुद्ध ने कहा कि इस दुनिया में जब सब मामला ही उलटा है और लोग शीर्षासन कर रहे हैं, तो तुम्हें मुझे पैर के बल खड़ा करना पड़ेगा। यहां सब भिखारी अपने को स्वामी मान रहे हैं, तब तुमको स्वामी कहने से बड़ी भांति पैदा होगी, इसलिए मैं तुमको भिक्षु कहूंगा। क्योंकि तुम अपने स्वामी हो। और भिक्षु अपने को स्वामी कह रहे हैं, इसलिए उचित है कि स्वामी अपने को भिक्षु कहें।
पर बात एक ही है, इरादा एक ही है, कि आंतरिक मालकियत उपलब्ध हो।
साधना सूत्र
ओशो
बुद्ध ने अपने संन्यासियों को भिक्षु कहा है। उलटा लगता है। लेकिन बुद्ध ने इसलिए अपने संन्यासियों को भिक्षु कहा, कि इस दुनिया में सभी को स्वामी होने का खयाल है। यहां सभी स्वामी हैं, कोई इसका, कोई उसका। यह शब्द गंदा हो गया। तो मैं तुम्हें भिक्षु कहूंगा। भिक्षु तो मैं इसलिए कहूंगा कि इस दुनिया में हालत उलटी है, यहां सब भिखारी अपने को स्वामी कह रहे हैं, इसलिए मैं स्वामी को भिखारी कहूंगा।
बुद्ध ने कहा कि इस दुनिया में जब सब मामला ही उलटा है और लोग शीर्षासन कर रहे हैं, तो तुम्हें मुझे पैर के बल खड़ा करना पड़ेगा। यहां सब भिखारी अपने को स्वामी मान रहे हैं, तब तुमको स्वामी कहने से बड़ी भांति पैदा होगी, इसलिए मैं तुमको भिक्षु कहूंगा। क्योंकि तुम अपने स्वामी हो। और भिक्षु अपने को स्वामी कह रहे हैं, इसलिए उचित है कि स्वामी अपने को भिक्षु कहें।
पर बात एक ही है, इरादा एक ही है, कि आंतरिक मालकियत उपलब्ध हो।
साधना सूत्र
ओशो
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