13—मार्ग की शोध करो।
थोड़ा रुको और विचार करो।
तुम मार्ग पाना चाहते हो, या तुम्हारे मन में ऊंची स्थिति प्राप्त करने,
ऊंचे चढ़ने और एक विशाल भविष्य निर्माण करने के स्वप्न हैं, सावधान!
मार्ग के लिए ही मार्ग को प्राप्त करना है—तुम्हारे ही चरण उस पर चलेंगे, इसलिए नहीं।
14—अपने भीतर लौटकर मार्ग की शोध करो।
15—बाह्य जीवन में हिम्मत से आगे बढ़कर मार्ग की शोध करो।
जो मनुष्य साधना—पथ में प्रविष्ट होना चाहता है,
उसको अपने समस्त स्वभाव को बुद्धिमत्ता के साथ उपयोग में लाना चाहिए।
प्रत्येक मनुष्य पूर्णरूपेण स्वयं अपना मार्ग, अपना सत्य, और अपना जीवन है।
और इस प्रकार उस मार्ग को ढूंढो। उस मार्ग को जीवन और अस्तित्व के नियमों,
प्रकृति के नियमों एवं पराप्राकृतिक नियमों के अध्ययन के द्वारा ढूंढो।
ज्यों—ज्यों तुम उसकी उपासना और उसका निरीक्षण करते जाओगे,
उसका प्रकाश स्थिर गति से बढ़ता जाएगा।
तब तुम्हें पता चलेगा कि तुमने मार्ग का प्रारंभिक छोर पा लिया है।
और जब तुम मार्ग का अंतिम छोर पा लोगे,
तो उसका प्रकाश एकाएक अनंत प्रकाश का रूप धारण कर लेगा।
उस भीतर के दृश्य से न भयभीत होओ और न आश्चर्य करो।
उस धीमे प्रकाश पर अपनी दृष्टि रखो। तब वह प्रकाश धीरे— धीरे बढ़ेगा।
लेकिन अपने भीतर के अंधकार से सहायता लो और समझो कि जिन्होंने प्रकाश देखा ही नहीं है,
वे कितने असहाय हैं और उनकी आत्मा कितने गहन अंधकार में है।
साधना सूत्र
ओशो
थोड़ा रुको और विचार करो।
तुम मार्ग पाना चाहते हो, या तुम्हारे मन में ऊंची स्थिति प्राप्त करने,
ऊंचे चढ़ने और एक विशाल भविष्य निर्माण करने के स्वप्न हैं, सावधान!
मार्ग के लिए ही मार्ग को प्राप्त करना है—तुम्हारे ही चरण उस पर चलेंगे, इसलिए नहीं।
14—अपने भीतर लौटकर मार्ग की शोध करो।
15—बाह्य जीवन में हिम्मत से आगे बढ़कर मार्ग की शोध करो।
जो मनुष्य साधना—पथ में प्रविष्ट होना चाहता है,
उसको अपने समस्त स्वभाव को बुद्धिमत्ता के साथ उपयोग में लाना चाहिए।
प्रत्येक मनुष्य पूर्णरूपेण स्वयं अपना मार्ग, अपना सत्य, और अपना जीवन है।
और इस प्रकार उस मार्ग को ढूंढो। उस मार्ग को जीवन और अस्तित्व के नियमों,
प्रकृति के नियमों एवं पराप्राकृतिक नियमों के अध्ययन के द्वारा ढूंढो।
ज्यों—ज्यों तुम उसकी उपासना और उसका निरीक्षण करते जाओगे,
उसका प्रकाश स्थिर गति से बढ़ता जाएगा।
तब तुम्हें पता चलेगा कि तुमने मार्ग का प्रारंभिक छोर पा लिया है।
और जब तुम मार्ग का अंतिम छोर पा लोगे,
तो उसका प्रकाश एकाएक अनंत प्रकाश का रूप धारण कर लेगा।
उस भीतर के दृश्य से न भयभीत होओ और न आश्चर्य करो।
उस धीमे प्रकाश पर अपनी दृष्टि रखो। तब वह प्रकाश धीरे— धीरे बढ़ेगा।
लेकिन अपने भीतर के अंधकार से सहायता लो और समझो कि जिन्होंने प्रकाश देखा ही नहीं है,
वे कितने असहाय हैं और उनकी आत्मा कितने गहन अंधकार में है।
साधना सूत्र
ओशो
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