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Sunday, August 2, 2015

तन सरवर के पार

तुम उनके पास जाते हो जो तुम्हें सोने की विधियां देते हैं, जो तुम्हें नींद के उपाय बताते हैं। जो तुमसे कहते हैं कि अच्छे सपने कैसे देखो। हजारों किताबें लिखी जाती है इस संबंध में। डेल कारनेगी की बड़ी प्रसिद्ध किताबें हैं ” हाउ टू विन फ्रंड्स एंड इन्‍फ्लूएंस पीपल ”।’’ मित्रता कैसे बढ़े, लोग कैसे जीते जाएं।’’ अभी अपने को जीता नहीं है, लोगों को जीतने चले! मगर लोग पढ़ते हैं। कहते हैं बाइबिल के बाद सबसे ज्यादा दुनिया में जो किताब बिकी है, वह यही है  डेल कारनेगी की किताब। बाइबिल के बाद! मतलब साफ है कि बाइबिल से ज्यादा बिक गई, क्योंकि बाइबिल खरीदता कौन है, मुफ्त बांटी जाती है। लोग बांटते ही रहते हैं बाइबिल। फिर हर ईसाई को रखनी ही पड़ती है घर में। न तो कोई कभी पढ़ता है, न कोई कभी पन्ने उलटता है। कौन पढ़ता है।

एक छोटे बच्चे से उसके पादरी ने पूछा कि तुमने अपना पाठ पूरा किया। बाइबिल पढ़ कर आए हो। क्या है बाइबिल में।
उस बच्चे ने कहा : सब मुझे मालूम है कि बाइबिल में क्या है।
उस पादरी ने कहा : सब तुम्हें मालूम है! सब तो मुझे भी नहीं मालूम।
क्या तुम्हें मालूम है।

उसने कहा कि मेरे पिताजी की लाटरी की टिकट है उसमें। मेरे छोटे भाई के बालों का गुच्छा है उसमें। मेरी मां ने एक ताबीज भी रखा हुआ है उसमें किसी हिमालय के आए हुए महात्मा ने दिया है। मुझे सब चीजें पता हैं कि उसमें क्या  क्या है।

कौन बाइबिल को देखता है! कौन बाइबिल को पढ़ता है! कौन खरीदता है! इस तरह की किताबें बिकती हैं: ” जीवन में सफल कैसे हों। सम्मान कैसे पाएं। धन कैसे पाएं। नेपोलियन हिल की प्रसिद्ध किताब है : ” हाउ टू ग्रो रिच ”। लाखों प्रतियां बिकी हैं।

ये सारे के सारे लोग तुम्हें विधियां दे रहे हैं कि और गहरी नींद कैसे सोओ, और मजे से कैसे सोओ, सेज फूलों की कैसे बने, सपने मधुर कैसे आएं, सपने रंगीन और टेक्नीकलर कैसे हों। अब ब्लैक और व्हाईट सपने बहुत देख चुके, अब सपनों में थोड़ा रंग डालो! थोड़े सपनों की कुशलता और कला सीखो। ये लौरिया गाने वाले लोग हैं।

इसलिए धनी धरमदास कहते हैं : अब हम सांची कहत हैं। अब तुम्हें भला लगे या बुरा, हम सच बात ही कह देते हैं कि तुम चाहो तो इसी वक्त, इसी क्षणठ उडियो पंख पसार। पंख तुम्हारे पास हैं। कारागह किसी और की बनाई हुई नहीं है! तुम्हारी अपनी बनायी हुई है। कोई पहरेदार नहीं है। तुम्हीं कैदी हो, और तुम्हीं पहरेदार हो। तुम जब तक अपने को गुलाम रखना चाहते हो रहोगे। जब तक अंधे रहना चाहते हो, रहोगे। जिस दिन निर्णय करोगे कि अब नहीं अंधे रहना है, उसी क्षण क्रांति शुरू हो जाएगी। सिर्फ तुम्हारे निर्णय की देर है। सिर्फ तुम्हारे संकल्प के जगने की देर है। और किसी चीज की कमी नहीं है।

अब हम सांची कहत हैं, उडियो पंख पसार।
छुटि जैहो या रुख ते, तन सरवर के पार।।

और अगर उड़ सको, पंख फैला सको, अगर उसके आकाश को स्वीकार कर सको, अगर उसमें लचपच हो सको, अगर उसके रंग में पूरे सौ प्रतिशत रंगने का साहस हो, तो छुटि जैहो या दुःख ते… तो सारे दुःखों से मुक्त हो जाओगे।… तन सरवर के पार। तन के पार, सीमाओं के पार, देह के पार, मिट्टी के पार, मृण्मय के पार-चिन्मय की उपलब्धि हो जाएगी!

ओशो 

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