सूत्र:
5—उत्तेजना की इच्छा को दूर करो।इंद्रियजन्य अनुभवों से शिक्षा लो और उसका निरीक्षण करो,
क्योंकि आत्म—विद्या का पाठ इसी प्रकार आरंभ किया जा सकता है
और इसी प्रकार तुम इस सीडी की पहली पटिया पर अपना पैर जमा सकते हो।
6—उन्नति की आकांक्षा को दूर करो।
फूल के समान खिलो और विकसित होओ।
फूल को अपने खिलने का भान नहीं रहता,
किंतु वह अपनी आत्मा को वायु के समक्ष
उन्मुक्त करने को उत्सुक रहता है।
तुम भी उसी प्रकार अपनी आत्मा को
शाश्वत के प्रति खोल देने को उत्सुक रहो।
परंतु उन्नति की आकांक्षा नहीं,
शाश्वत ही तुम्हारी शक्ति और तुम्हारे सौंदर्य को आकृष्ट करे।
क्योंकि शाश्वत के आकर्षण से तो तुम पवित्रता के साथ आगे बढ़ोगे, पनपोगे,
किंतु व्यक्तिगत उन्नति की बलवती कामना
तुमको केवल जड़ व कठोर बना देगी।
साधना सूत्र
ओशो
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