Osho Whatsapp Group

To Join Osho Hindi / English Message Group in Whatsapp, Please message on +917069879449 (Whatsapp) #Osho Or follow this link http...

Sunday, August 2, 2015

माया रंग कुसुम्म, महा देखन को नीको!

इस जगत् में तुमने जो भी पाया है, जो भी मिला है या जिसको भी मिलने की तुमने आस बना रखी है  सब फूल के कच्चे रंग जैसा है। देखने में सुंदर लगता है, दूर से सुहावना मालूम पड़ता है। दूर के ढोल सुहावने हैं। जैसे जैसे पास आओगे, वैसे  वैसे ही सब व्यर्थ हो जाता है। धन चाहा था, धन मिल गया और पाते ही पाया कि व्यर्थ हो गया। पद चाहा था, पद मिल गया। प्रेम चाहा था, प्रेम मिल गया। घर बसाना था, घर बसा लिया। मिला क्या। सार निचोड़ क्या है?  हाथ में क्या लगा?  हाथ खाली के खाली हैं। एक धोखे से दूसरा धोखा, दूसरे धोखे से तीसरा धोखा। धोखे बदलते रहे हो, लेकिन हाथ खाली के खाली हैं। जो सफल हैं उनके हाथ भी खाली हैं। और ऐसा मत सोचना कि तुम असफल हो, इसलिए हाथ खाली हैं। सिकंदरों के हाथ भी खाली हैं।

माया रंग कुसुम्म, महा देखन को नीको!

 देखने में बड़ा प्यारा लगता है इंद्रधनुष जैसा! कितना प्यारा, सतरंगा! आकाश में जैसे सेतु बना हो! लेकिन पास जाओ, मुट्ठी बांधो, तो कुछ भी हाथ न लगेगा। कोई रंग हाथ न लगेगा। कुछ भी हाथ न लगेगा। हाथ खाली का खाली रह जाएगा। इंद्रधनुष सिर्फ दिखाई पड़ता है, है नहीं। देखने में ही है जैसे रात के सपने हैं, देखने में ही हैं। देखने के बाहर उनकी कोई और सच्चाई नहीं है। जिसकी सच्चाई सिर्फ देखने में ही है, उसे माया समझना। और जिसकी सच्चाई तुम्हारे देखने के पार है। तुम चाहे देखो और चाहे न देखो, जो है। तुम चाहे मानो और चाहे न मानो, जो है। तुम जानो चाहे न जानो, जो है जिसकी सच्चाई, जिसका यथार्थ, तुम्हारे जानने पर निर्भर नहीं है, वही सत्य है।

ओशो 

No comments:

Post a Comment

Popular Posts