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Monday, August 3, 2015

राज दरबार में

एक बार जगमगाती हुई पगड़ी पहन कर नसरूदीन दरबार में दाखिल हुआ। वह जानता था कि राजा उसे पसंद करेगा। और वह पगड़ी को उसे बेचने में सफल हो सकता है।

‘’मुल्‍ला, तुमने इस शानदार पगड़ी की क्‍या कीमत चुकाई।
‘’हजार स्‍वर्ण मुद्राएं सरकार।‘’

वजीर मुल्‍ला की चाल को समझते हुए राजा के कान में फुसफुसाया: कोई बुद्धू ही इस पगड़ी की इतनी कीमत दे सकता है।

तुमने इतनी ज्‍यादा कीमत क्‍योंकर चुकाई। हजार स्‍वर्ण मुद्राओं की पगड़ी कभी सूनी नहीं।

बादशाह सलामत मैंने इसलिए दीं क्‍योंकि मैं जानता था पूरी दुनियां में एक ही बादशाह है, जो इसकी कीमत दे सकता है। राजा ने उसकी प्रशंसा से प्रसन्‍न होकर नसरूदीन को दो हजार स्‍वर्ण मुद्राएं दे दी।

बाद में मुल्‍ला ने वज़ीर को बताया: ‘’तुम्‍हें पगडियों की कीमत पता होगी लेकिन मुझे राजाओं की कमजोरी पता है।‘’

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