10—शक्ति की उत्कट अभीप्सा करो।
और जिस शक्ति की कामना शिष्य करेगा,
वह शक्ति ऐसी होगी जो उसे लोगों की दृष्टि
में ना—कुछ जैसा बना देगी।
11—शांति की अदम्य अभीप्सा करो।
जिस शांति की कामना तुमको होगी,
वह ऐसी पवित्र शांति है,
जिसमें कोई विध्न न डाल सकेगा।
और जिस शांति के वातावरण में
आत्मा उसी प्रकार विकसित होगी, जैसे
शांत सरोवर में पवित्र कमल विकसित होता है।
12—स्वामित्व की अपूर्व अभीप्सा करो।
परंतु ये संपत्तियां केवल शुद्ध आत्मा की हों
और इसलिए सभी शुद्ध आत्मा इसके समानरूप से स्वामी हों
और इस प्रकार ये सभी की (जब वे संयुक्त हों) संपत्ति हों।
साधना सूत्र
ओशो
और जिस शक्ति की कामना शिष्य करेगा,
वह शक्ति ऐसी होगी जो उसे लोगों की दृष्टि
में ना—कुछ जैसा बना देगी।
11—शांति की अदम्य अभीप्सा करो।
जिस शांति की कामना तुमको होगी,
वह ऐसी पवित्र शांति है,
जिसमें कोई विध्न न डाल सकेगा।
और जिस शांति के वातावरण में
आत्मा उसी प्रकार विकसित होगी, जैसे
शांत सरोवर में पवित्र कमल विकसित होता है।
12—स्वामित्व की अपूर्व अभीप्सा करो।
परंतु ये संपत्तियां केवल शुद्ध आत्मा की हों
और इसलिए सभी शुद्ध आत्मा इसके समानरूप से स्वामी हों
और इस प्रकार ये सभी की (जब वे संयुक्त हों) संपत्ति हों।
साधना सूत्र
ओशो
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