Osho Whatsapp Group

To Join Osho Hindi / English Message Group in Whatsapp, Please message on +917069879449 (Whatsapp) #Osho Or follow this link http...

Sunday, August 9, 2015

शांति को खोजना, जिसमें कोई विघ्‍न न डाल सके

 इसका यह अर्थ हुआ कि विघ्‍न से बच कर मत खोजना, विघ्‍न के बीच ही खोजना। बच्चा शोर न भी मचा रहा हो, तो और मोहल्ले के बच्चों को इकट्ठा कर लेना और कहना कि तुम सब शोर मचाओ, मैं ध्यान करता हूं। और जिस दिन तुम पाओ कि बच्चे शोर कर रहे हैं और तुम्हारा ध्यान चल रहा है, उस दिन तुम समझना कि यह तुम्हारा है। पहाड़, हिमालय मत खोजना, ठीक बीच बाजार में बैठ कर ध्यान करना। क्योंकि पहाड़ धोखा दे सकता है। पहाड़ शांति देता है, इसलिए धोखा दे सकता है। पहाड़ से बचना, बाजार में ही शांति खोजना। जिस दिन बाजार में ही तुम शांति को पा लोगे, उस दिन अब तुमसे कोई भी छीन न सकेगा। क्योंकि जो छीन सकता था, उसी के बीच तुमने पा लिया है।

इसलिए घर छोड़ कर मत भागना। गृहस्थ होते हुए संन्यासी हो गए अगर तुम, तो ही संन्यास सच्चा है। अगर घर छोड़ा, पत्नी छोड़ी, बच्चे छोड़े, धन छोड़ा, और फिर तुम संन्यासी हुए, तो संन्यास जो है, आरोपित है, झूठा है, कंडीशनल है। अगर पत्नी फिर वापस दे दी जाए, तो वह एक रात में तुम से तुम्हारे संन्यास को छीन लेगी। और जल्दी छीन लेगी। देर न लगेगी।

इसीलिए तथाकथित संन्यासी बड़ा ड़रा रहता है। कहीं स्त्री न छू जाए, ड़रा हुआ है। क्यों ड़रा हुआ है इतना? इतना भयभीत संन्यास कहां ले जाएगा? इतना निर्बल संन्यास क्या परिणाम लाएगा? इससे आत्मा सबल हुई कि निर्बल हो गई? यह हम कभी सोचते ही नहीं!  एक आदमी स्त्री को छूने से ड़रता है। हम सोचते हैं, बड़ा आत्मवान है। और स्त्री को छूने से ड़र रहा है! स्त्री छू जाए तो उनका ब्रह्मचर्य नष्ट हो जाता है! यह तो हद की निर्बल आत्मा हो गई। इस निर्बल आत्मा की क्या उपलब्धि है? ऐसे कहता रहता है कि स्त्री तो हड्डी—मांस का ढेर है। और छूने से ड़रता भी है! तो यह जो ऊपर ऊपर कह रहा है, यह केवल आयोजन है अपने को समझाने का, भीतर रस मौजूद है। छू ले तो रस का जन्म हो जाए। रस का जन्म हो जाए तो उसे लगेगा कि भीतर पतन हो गया है।

लेकिन कोई स्त्री किसी पुरुष में रस पैदा नहीं करती और न कोई पुरुष किसी स्त्री में रस पैदा करता है। रस होता है, तो उसे बाहर खींच लेती है। यह सहारा है आत्‍मदर्शन का। अगर आपके भीतर वासना है, तो स्त्री की मौजूदगी उस वासना को बाहर ले आती है। तो स्त्री सिर्फ दर्पण का काम कर रही है, स्त्री सिर्फ निदान कर रही है, वह एक डायग्नोसिस कर रही है कि आपके भीतर क्या छिपा है। उससे भागना क्या! उसे सदा पास रखना अच्छा है, क्योंकि पता चलता रहे कि भीतर क्या है। और उसके पास रहते अगर वासना खो जाए, तो ब्रह्मचर्य उपलब्ध हुआ, तो शक्ति उपलब्ध हुई, जो आंतरिक है।

साधना सूत्र
ओशो 

No comments:

Post a Comment

Popular Posts