Osho Whatsapp Group

To Join Osho Hindi / English Message Group in Whatsapp, Please message on +917069879449 (Whatsapp) #Osho Or follow this link http...

Sunday, August 2, 2015

जीवन का विरोधाभास

संभावना है अनंत तुम्हारी। अपनी संभावना को सत्य बनाया जा सकता है। संकल्प करो! इस अभीप्सा को उठने दो! इस अभीप्सा पर सब निछावर करो, तो देर नहीं लगेगी। और एक बार स्वाद आ जाए उस मलयगिरि की सुगंध का, उस पवन का, तब तुम हैरान होओगे कि कैसे इतने दिन उलझे रहे! कैसे इतने दिन छोटे  छोटे खेल  खिलौनों में पड़े रहे! कैसे पत्थर इकट्ठे करते रहे! तुम्हें हैरानी होगी  अपने पर हैरानी होगी, अपने अतीत पर हैरानी होगी। और तुम्हें चारों तरफ लोगों को देख कर हैरानी होगी कि लोग क्यों उलझे हैं! ज्ञानियों को यही सबसे बड़ी हैरानी रही है। खुद अपना अतीत बेबूझ हो गया कि हम इतने दिन तक कैसे चूके! और फिर चारों तरफ लोगों को चूकते देखते हैं, उन्हें भरोसा ही नहीं आता! समझ में नहीं पड़ता कि लोग कैसे चूके जा रहे हैं! जिसको खोजते हैं, उसी को चूक रहे हैं  और अपने ही कारण चूक रहे हैं!

कौन है ऐसा इस जगत् में, जो आनंद नहीं चाहता। और कौन है ऐसा इस जगत् में जो आनंद उपल्‍बध कर पाता है। बड़ी मुश्किल से कभी एक  आध   करोड़ में। क्या हो जाता है। आनन्द सब चाहते हैं, मगर जो करते हैं वह आनंद के विपरीत है। पश्‍चिम जाना चाहते हैं और पूरब जाते हैं। दिन को लाना चाहते हैं और रात को बनाते हैं।
ऐसा कौन है इस जगत् में जो अमृत नहीं पाना चाहता हैं अमृत बनाना चाहते हैं। और जहर ढालते हैं, जहर निचोड़ते हैं। कौन है इस जगत् में जो शाश्वत शांति में डूब नहीं जाना चाहता। मगर सारी चेष्टा अशांति और अशांति को पैदा करती है।

जरा अपने जीवन के विरोधाभास को देखो : तुम जो चाहते हो वही कर रहे हो। तुम जो चाहते हो उससे विपरीत कर रहे हो। यह विपरीत ही माया है। जिस दिन तुम जो चाहते हो वही करने लगो, उसी दिन जीवन में धर्म का प्रवेश हुआ। तुम संन्यस्त हुए। तुम दीक्षित हुए।

ओशो 

No comments:

Post a Comment

Popular Posts